Balaghat GK History In Hindi बालाघाट MP GK PDF

बालाघाट जिले के प्रमुख पर्यटक स्थल-

हेलो दोस्तों!

आज हम फिर एक बार मध्यप्रदेश के जबलपुर संभाग के अंतर्गत आने वाले बालाघाट जिले के बारे में चर्चा करने वाले हैं | आज की इस पोस्ट में बताएंगे कि बालाघाट जिले के अंतर्गत कौन-कौन से ऐतिहासिक स्थल आते हैं | बालाघाट जिले में जो भी तीर्थ स्थल हैं उनका क्या महत्व है ?वहां पर जाने का क्या रास्ता है ?सभी के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे | दोस्तों बालाघाट जिला के अंतर्गत आने वाला जितना भी क्षेत्र है लगभग नर्मदा का क्षेत्र है जहां पर बहुत अधिक मात्रा में उपजाऊ मिट्टी पाई जाती है |

बांधगांगुल पारा बांध, धुती बांध,नहलेसरा बांध , राजीव सागर बांध, 
मंदिरमां काली पाठ मंदिर, ज्वाला देवी मंदिर,
किलालांजी का किला, 12 वीं शताब्दी में निर्मित
धुती बांधवैनगंगा नदी पर निर्मित
राष्ट्रीय उद्यानकान्हा राष्ट्रीय उद्यान
टाइगर रिजर्वकान्हा टाइगर रिजर्व, 1973
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना1 जून 1955
वैनगंगा नदी, चंदन नदी
बालाघाट जिले के दो प्रसिद्ध वृक्षराजा और रानी
रामपायली मंदिरचंदन नदी के तट पर स्थित भगवान श्री राम के लिए  समर्पित 
मैंगनीज खदानमिराजपुर और अकुआ
मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मैग्नीज का उत्पादनजिला बालाघाट 
एकमात्र महाविद्यालयमध्य प्रदेश का वन महाविद्यालय
मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मात्रा में धान का उत्पादनजिला बालाघाट
मलाजखंडमध्य प्रदेश के प्रसिद्ध तांबे की खदान 
लिंगानुपात1021/ 1000 
एशिया की सबसे बड़ी मैग्नीज की खदानमध्य प्रदेश के जिला बालाघाट में 
बैगा जनजाति का घरमध्य प्रदेश का जिला बालाघाट 

बालाघाट जिले के कुछ प्रमुख पर्यटक स्थल और उनका महत्व-

बालाघाट जिले के अंतर्गत भगवान शिव से जुड़े हुए कई मंदिर पाए जाते हैं जो कि बहुत ही पुराने और धार्मिक मंदिर हैं | हिंदू धर्म से जुड़े हुए कई देवी-देवताओं के मंदिर यहां पर मौजूद हैं आज उन्हीं के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे | बालाघाट जिले के अंतर्गत अमृत महोत्सव का भी बड़ी ही हर्ष पूर्वक आयोजन किया जाता है उसके बारे में चर्चा करेंगे | बालाघाट जिले के अंतर्गत ज्यादातर मंदिर नदी के किनारे बने हुए हैं जिनमें कुछ मंदिर इस प्रकार हैं-

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▶️ कान्हा राष्ट्रीय उद्यान बालाघाट Balaghat

दोस्तों भारत देश के प्रमुख टाइगर इस राष्ट्रीय उद्यान में भी भारी मात्रा में पाए जाते हैं | यह राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के अंतर्गत आता है | बालाघाट जिले के अंतर्गत आने वाले यह राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है इसका क्षेत्रफल मध्यप्रदेश में मौजूद सभी राष्ट्रीय उद्यानों से ज्यादा है |

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान बालाघाट

वर्तमान में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान की दो क्षेत्र देखने को मिलते हैं जिसमें एक क्षेत्र को “हाॕलन “कहा जाता है और दूसरी क्षेत्र को “बंजार “कहा जाता है | यह दोनों पर्यटक क्षेत्र काफी लंबे क्षेत्रफल पर फैले हुए पहला लगभग 200 से ज्यादा वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और दूसरा 350 से ज्यादा वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है |

⚫️ कान्हा राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना-

1 जून 1955 को इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना की गई इसके पश्चात 1973 के समय इसको कान्हा टाइगर रिजर्व के रूप में घोषित किया गया | यह राष्ट्रीय उद्यान लगभग 940 से भी अधिक वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जिसका विस्तार मध्यप्रदेश के मंडला जिले और बालाघाट जिले में है |

“भूर सिंह दा बारहसिंघा “आपको इसी राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत देखने को मिलता है इस राष्ट्रीय उद्यान में तरह-तरह की पशु- पक्षी और जंगली कुत्ते भी पाए जाते हैं | इस जंगल में आपको रॉयल बंगाल टाइगर के नाम से प्रसिद्ध टाइगर आपको इसे राष्ट्रीय उद्यान में देखने को मिलता है | जंगली कुत्ते ,हिरण ,भालू ,चीता ,बंदर आदि सभी पशु पक्षी और जानवर किस राष्ट्रीय उद्यान की शोभा बढ़ाते हैं |

इस राष्ट्रीय उद्यान तक पहुंचने के लिए आप अपने स्वयं कि वाहन का प्रयोग भी कर सकते हैं और अन्य वाहन की मदद से यदि आप इस राष्ट्रीय उद्यान तक पहुंच सकते हैं | तरह-तरह के पशु- पक्षी और जानवर इस राष्ट्रीय उद्यान की विशेषता है आपको यहां पर ऐसे जानवर दिखाई देते हैं जिनको आपने कभी देखा ही नहीं है केवल पुस्तकों में पड़ा है और लोगों से सुना है | प्रकृति में कितने सुंदर -सुंदर जानवर पाए जाते हैं आप को इस राष्ट्रीय उद्यान में जाने के बाद पता चलता है | इस राष्ट्रीय उद्यान का भ्रमण करते समय आपको पूरी सावधानी के समय जाना होता है और वहां पर किसी भी प्रकार की खाने वाली सामग्री को आप पशु पक्षी अथवा जानवरों को नहीं खिला सकते |

राष्ट्रीय उद्यान घूमते समय आवश्यक सावधानियां-

दोस्तों ऐसा राष्ट्रीय उद्यान में घूमने के लिए कुछ मात्रा में फीस का भी प्रावधान है परंतु यहां पर सबसे बड़ी सावधानी खुद से बरतनी पड़ती है | जंगल के किसी भी जानवर को आप कुछ भी खिला नहीं सकते उनसे हमेशा दूरी बनाए रखनी होती है | कर्मचारियों की अनुमति के बिना आपको कहीं पर भी नहीं जाना चाहिए |

▶️ गांगुल पारा बांध और झरना-

गांगुलपरा बांध और झरना मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में पड़ता है बालाघाट जिले से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर यह बांध बना हुआ है | इस बांध के निकट से ही बैहर के लिए रास्ता जाता है और आप इसी रास्ते पर एक झरना देख सकते हैं जो की बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक है | यहां पर आपको प्रमुख रूप से प्राकृतिक सुंदरता देखने को मिलती है जो कि घने जंगलों के बीच है| पहाड़ों की ऊंचाई से गिरता हुआ पानी यहां पर बहुत सुंदर लगता है| यहां पर आप अपने पूरे परिवार के साथ इंजॉय करने के लिए आ सकते हैं और सबसे ज्यादा मात्रा में लोग यहां पर अपने फ्रेंड सर्कल के साथ पिकनिक मनाने के लिए आते हैं |

गांगुल पारा बांध यहां का बहुत ही सुंदर और खूबसूरत बांध है जिसे देखने के लिए हर कोई लालायित रहता है क्योंकि यहां पर एक बांध के साथ-साथ आपको प्रकृति की एक अनोखी सुंदरता नजर आती है | इस बांध का नजारा सबसे सुंदर शाम के समय लगता है क्योंकि शाम के समय डूबते हुए सूरज पानी में अपनी किरणें बिखेर देता है जो की बहुत ही सुंदर लगती हैं |

बालाघाट जिले के दर्शकों के लिए यह जगह बहुत ही सुंदर और आकर्षक जगह है यहां पर लोग आकर अपना अच्छा समय बिता सकते हैं | यदि कोई व्यक्ति बालाघाट जिले को घूमना चाहता है तो एक बार इस स्थल पर जरूर जाए क्योंकि यहां पर प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ आपको मन की शांति देने वाला स्थल है | बरसात के मौसम में यहां पर बहुत अच्छा लगता है |

▶️ घीसरी नालापानी-

इस बांध से एक छोटी सी नहर के रूप में कार्यरत घीसरी नाला के नाम से जाना जाता है | एक छोटी सी नहर के माध्यम से आसपास के सभी किसानों की पानी की समस्या को दूर किया जाता है | कैसे जल भंडारण टैंक के माध्यम से किसानों की खेती सुचारू रूप से हो जाती है |

▶️ मां काली पाठ मंदिर-

बालाघाट जिले के अंतर्गत फॉरेस्ट कॉलोनी पड़ती है जहां पर यह मंदिर पाया जाता है यह मंदिर अपनी सुंदरता के लिए विशेष स्थान रखता है | जो भी व्यक्ति इस मंदिर की सुंदरता को देखता है मंत्रमुग्ध हो जाता है | हिंदू धर्म की आस्था का केंद्र है यहां पर लोग नवरात्रि के समय माता के दर्शन करने के लिए सबसे अधिक मात्रा में आते हैं | लोगों का मानना है कि माता शक्ति की एक खंडपीठ यहां पर विराजमान है इस मूर्ति के बारे में कई कहानियां सुनने को मिलते हैं| यहां के आसपास निवासी लोगों के द्वारा पता चलता है कि यहां पर मां काली जमीन की प्रगट हुई थी अर्थात अपने आप इन की मूर्ति जमीन से बाहर आई थी | कहा जाता है कि मां काली धीरे-धीरे दिन प्रतिदिन जमीन से बाहर आ गई थी |

मां काली पाठ मंदिर- Balaghat

प्रतिवर्ष नवरात्रि के समय पर यहां पर लोगों के द्वारा कन्या भोज का भारी मात्रा में भव्य आयोजन किया जाता है जिसमें आसपास के निवासी सभी शामिल होते हैं | माता के दरबार में आने वाले भक्तों की मनोकामना पूर्ण होने के बाद यहां पर माता के दरबार में लोग चढ़ावा चढ़ाने के लिए आते हैं और साथ ही कन्या भोज भी करवाते हैं | दोस्तों यहां के स्थानीय निवासियों के द्वारा बताया जाता है कि माता के दरबार में आने वाले प्रत्येक भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है |

▶️ ज्वाला देवी मंदिर- Balaghat

बालाघाट जिले के लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर हिंदू धर्म का यह मंदिर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है | इस मंदिर को गोमजी – सोम जी के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है यह मंदिर बालाघाट जिले की भरवेली नामक क्षेत्र के अंतर्गत आता है | प्रत्येक वर्ष कुमार के महीने में नवरात्रि महोत्सव का आयोजन किया जाता है जिसमें महाराष्ट्र के साथ-साथ मध्यप्रदेश और आसपास के अन्य सभी राज्यों के लोग यहां पर एकत्रित होते हैं |

यह मंदिर बालाघाट जिले के सभी धार्मिक मंदिरों में से एक है और हिंदू धर्म की आस्था का केंद्र है | माता के दरबार में आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु की हर इच्छा की पूर्ति होती है और उनकी समस्याएं यहां से माता की कृपा के द्वारा दूर हो जाती हैं | नवरात्रि के समय यहां पर माता के दरबार में लोग त्रिशूल चढ़ाने के लिए आते हैं | माता के दरबार बाबा -बैरागी या अथवा महात्माओं के द्वारा भूत प्रेत जैसी समस्याओं को दूर किया जाता है |

ज्वाला देवी मंदिर- Balaghat

▶️ लांजी का किला-

मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में शासन करने वाले प्रसिद्ध राजा संग्राम शाह के 52 गढ़ में से एक है | यह किला मध्य प्रदेश का बहुत पुराना और ऐतिहासिक जिला है | किले का निर्माण 12 वीं शताब्दी में राजा मलुकुमा के द्वारा बनवाया गया था | किले में बहुत ही सुंदर एक मंदिर का निर्माण भी किया गया है | यह किला लंबी क्षेत्रफल में तो चला ही है साथ ही कई छोटी-छोटी इमारतें बनी हुई है जो कि लगभग 7 एकड़ के क्षेत्रफल पर आती हैं |

किले के अंदर आपको एक छोटा सा तालाब देखने को मिलता है जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां पर प्राचीन काल में मगरमच्छ और मछली में पाले जाते थे | कहा जाता है कि आज भी यहां पर पानी हमेशा भरा रहता है कभी खाली नहीं होता | किले के अंदर कई इमारतें लगभग 4 बुर्ज वाली हैं लेकिन दुर्भाग्यवश बहुत पुरानी होने के कारण कई इमारतों के 2 बुर्ज मिट चुके हैं लेकिन अभी केवल दो बुर्ज बचे हुए हैं | यह किला ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है जहां से नीचे का नजारा देखने में बहुत सुंदर लगता है | पहाड़ों के ऊपर किला इसीलिए ऊपर बनाया जाता था ताकि युद्ध करने में कोई भी परेशानी ना हो | वर्तमान में फिलहाल इसकी सुरक्षा पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के द्वारा की जा रही है | बालाघाट के पर्यटक स्थलों में से यह पर्यटक स्थल सबसे महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक पर्यटक स्थल है बालाघाट जिले के घूमने वाले प्रत्येक पर्यटक यहां पर जरूर आते हैं |

▶️ नहलेसरा बांध –

बालाघाट जिले का यह एक बहुत ही पुराना बांध है जो लगभग बालाघाट से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है | प्राचीन काल से बालाघाट जिले की बहुत से क्षेत्रों की खिंचाई इसी बांध के पानी के द्वारा की जाती है | बांध के निर्माण के समय बालाघाट जिले के कई क्षेत्रों की सिंचाई की व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए इस बांध का निर्माण किया गया था | इस बांध के द्वारा भेजा जाने वाला पानी बड़ी आसानी के साथ चला जाता है | खेती को पर्याप्त मात्रा में पानी की व्यवस्था हो जाने के कारण किसानों को उन्नत आय प्राप्त हो जाती है| 1960-65 के बीच इस बांध का निर्माण किया गया था लगभग 5 साल से ज्यादा यह तो बांध के निर्माण में समय लगा था | प्राचीन काल में कुछ इस तरीके से इस बांध का निर्माण किया गया कि आज के समय यह बहुत ही मजबूत बांध नजर आता है |

बालाघाट जिले के अंतर्गत बहने वाली एक छोटी सी नदी जिसे चंदन नदी के नाम से जाना जाता है इसी नदी पर इस बांध को बनाया गया है | यह तो बांध का विस्तार लगभग 2 किलोमीटर से ज्यादा है देखने में बहुत ही खूबसूरत और सुंदर लगता है | बांध काफी पुराना और इसकी बनावट पुराने आकार की है जिस कारण से यहां पर पर्यटक भी बहुत अधिक मात्रा में देखने के लिए आते है |

Balaghat GK Tourism History In Hindi

▶️ धुती बांध-

बालाघाट जिले के अंतर्गत एक छोटा सा क्षेत्र लामता आता है इसी क्षेत्र के अंतर्गत वैनगंगा नदी का एक मोड़ आता है उसी मोड़ पर इस बांध को निर्मित किया गया है | वैनगंगा नदी से बहने वाले पानी को भारी मात्रा में यहां पर एकत्रित किया जाता है इसके बाद आसपास के सभी क्षेत्रों में इस पानी का इस्तेमाल सिंचाई के रूप में दिया जाता है |

इस बांध का निर्माण अंग्रेजी शासनकाल के दौरान किया गया है कहा जाता है कि सन 1923 के समय ब्रिटिश अधिकारी सर जॉर्ज माॕस हैरियट की देखरेख में करवाया गया था जो कि उस समय के एक इंजीनियर थे | आसपास के 2 बड़े क्षेत्र लामता और मोहर्रा की सिंचाई की व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए दो बड़ी नेहरों को विकसित किया गया जिसके माध्यम से वहां पर पानी पहुंच जाता है |

▶️ राजीव सागर बांध-

इस बांध के बारे में कहा जाता है कि लगभग 30 फिर से ज्यादा ऊंचा यह बांध बनाया गया है | इस बांध का विस्तार लगभग 6 किलोमीटर की आसपास है | बालाघाट जिले का यह एक ऐसा गांव है जहां पर पिकनिक मनाने का एक सबसे अच्छा पॉइंट माना जाता है | यहां पर पिकनिक टूर पर आने के लिए बहुत ही उपयुक्त रहता है पिकनिक के लिए सारी व्यवस्थाएं यहां पर आप को एक साथ उपलब्ध हो जाते हैं | इस बांध का निर्माण बालाघाट जिले में बहने वाली एक छोटी सी नदी बावनथड़ी पर बनाया गया है |

बालाघाट मध्य प्रदेश का ऐसा जिला है जो महाराष्ट्र के बिल्कुल करीब लगता है और एक परियोजना का उपयोग भी बहु राज्य है जैसे कि मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में इस परियोजना से प्राप्त होने वाले फायदे दोनों राज्यों को मिलते हैं | बालाघाट जिले की एक छोटी सी तहसील कटंगा के अंतर्गत यह बांध आता है बालाघाट जिले के छोटे से गांव खंडवा और महाराष्ट्र के कुछ है हिस्से में आता है | इस बांध के द्वारा ज्यादातर लाभ किसानों को होता है क्योंकि शुरुआती समय से ही किसानों के क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए नहरों का निर्माण किया गया था और उन्हीं नहरों के माध्यम से किसानों को जल उपलब्ध हो जाता है जिस कारण से उनकी आय में भी वृद्धि हो जाती है |

▶️ राजा -रानी विशाल वृक्ष

दोस्तों कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत साल के दो विशाल वृक्ष आते हैं जिनको राजा -रानी के नाम से जाना जाता है | यह विशाल पेड़ों की विशेषता यह है कि यहां के स्थानीय निवासरत लोगों के द्वारा पूजा की जाती है |

▶️ रामपायली मंदिर –

मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के अंतर्गत आने वाला रामपायली एक बहुत ही सुंदर और प्राकृतिक पर्यटक स्थल है | बालाघाट जिले के अंतर्गत बहने वाली एक छोटी सी नदी जिसे चंदन नदी के नाम से जाना जाता है किसी नदी के किनारे यह पर्यटक स्थल बना हुआ है

दोस्तों स्थानीय निवासी लोगों के द्वारा इस मंदिर के बारे में बड़ी रोचक और इंटरेस्टिंग कहानी सुनने को मिलती है जिसमें कहा जाता है कि भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के समय कुछ समय के लिए यहां पर ठहरे थे | भगवान श्री राम के खेलने के उपरांत इस क्षेत्र को पदावली कहा जाने लगा जिसे बाद में धीरे-धीरे भगवान राम के नाम को जोड़कर रामपायली के नाम से बोला जाने लगा |

यहां पर एक छोटी सी नदी बहती है जिसके तट पर राजा भोंसले के द्वारा भगवान श्री राम का प्रसिद्ध मंदिर बनवाया गया था जो आज भी मौजूद है | भगवान श्री राम के मंदिर में आप श्री हनुमान जी को भी देख सकते हैं | इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि किसी विशेष समय अथवा वर्ष में एक बार भगवान सूर्य की पहली किरण भगवान श्री राम और हनुमान जी महाराज के चरणों में जाती है | यहां पर भारी मात्रा में लोग दर्शन करने के लिए आते हैं |

▶️ मिराजपुर और अकुआ-

मैंगनीज के उत्पादन में सबसे आगे मिराजपुर और अकुआ यहां की दो प्रमुख खदाना हैं जहां पर मैग्नीज का उत्पादन होता है |

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बालाघाट Balaghat GK Tourism History In Hindi FAQ’s

↪️ बालाघाट जिले का पुराना नाम क्या है?

बालाघाट जिले का पुराना नाम बुरहा था जो बाद में आगे जाकर बालाघाट के नाम से प्रसिद्ध हुआ |

↪️ मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मैंगनीज का उत्पादन किस जिले में होता है ?

मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मैगजीन बालाघाट जिले में होता है|

↪️ बालाघाट जिले में कौन सी नदी बहती है?

बालाघाट जिले के अंतर्गत आने वाली नदी सिवनी जिले के मुंडेर गांव से निकलने वाली वैनगंगा का कुछ हिस्सा बालाघाट से होकर गुजरता है|

↪️ मध्य प्रदेश का वन महाविद्यालय किस जिले में है?

मध्य प्रदेश का वन महाविद्यालय बालाघाट जिले में स्थित है |

↪️ मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मात्रा में धान कहां पर उगाई जाती है?

मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के अंतर्गत सर्वाधिक उत्पादन धान का होता है | बालाघाट जिले के अंतर्गत तरह-तरह की किस्में उत्पादित की जाती हैं और इन किस्मों को देश के कई हिस्सों में एक्सपोर्ट भी किया जाता है |

↪️ मध्य प्रदेश का सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिला कौन सा है?

मध्य प्रदेश का बालाघाट जिला नक्सली जिला है जहां पर सबसे ज्यादा मात्रा में नक्सलवादियों का प्रभाव रहता है |

↪️ मलाजखंड खदान कहां पर है?

मध्य प्रदेश की सबसे प्रसिद्ध तांबे की खदान बालाघाट जिले के अंतर्गत ही आती है जिसे मलाजखंड खदान के नाम से भी जाना जाता है | इस खदान में भारी मात्रा में तांबे का उत्पादन किया जाता है |

↪️ मध्य प्रदेश का सबसे ज्यादा लिंगानुपात किस जिले का है?

मध्य प्रदेश का सबसे ज्यादा लिंगानुपात बालाघाट जिले का है जहां पर 1021/1000 लिंगानुपात है |

↪️ बालाघाट जिले के अंतर्गत कौन सा बांध है?

बालाघाट में सबसे प्रसिद्ध जवान है वैनगंगा नदी पर बनाया गया है जिसे धुति बांध के नाम से जाना जाता है |

↪️ एशिया की सबसे बड़ी मैग्नीज की खदान कहां पर है?

एशिया की सबसे बड़ी मैंगनीज की भूमिगत खदान मध्य प्रदेश के भरवेली नामक स्थान पर आती है जो कि भारत देश में है |

↪️ बालाघाट जिले में कौन सा जलप्रपात है?

गांगुलपरा जलप्रपात बालाघाट जिले का प्रमुख जलप्रपात है यहां पर प्राकृतिक सुंदरता देखने को मिलती है |

↪️ लांजी के किले का निर्माण किसने करवाया?

लांजी के किले का निर्माण कलचुरी वंश के राजाओं द्वारा करवाया गया था |

↪️ मध्य प्रदेश के किस जिले को बैगा जनजाति का घर कहा जाता है ?

मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले को बैगा जनजाति का घर कहा जाता है क्योंकि यहां पर भारी मात्रा में बैगा जनजाति निवास करती है |

↪️ मध्य प्रदेश के किस जिले में सबसे ज्यादा मात्रा में वन पाए जाते हैं |

मध्य प्रदेश का सर्वाधिक वन वाला क्षेत्र बालाघाट जिले का चित्र है क्योंकि यहां पर 43 .90 % तक वन पाए जाते हैं |

↪️ बावन थड़ी योजना मध्य प्रदेश के किस जिले में आती है?

मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के अंतर्गत यह परियोजना आती है और बहुत प्रसिद्ध है |

↪️ मध्य प्रदेश के किस जिले में सबसे ज्यादा मात्रा में पोहा की फैक्ट्री हैं?

मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में सर्वाधिक मात्रा में पोहे का निर्माण किया जाता है यहां पर सर्वाधिक मात्रा में पोहा मिलें मौजूद हैं |

↪️ मध्य प्रदेश के किस जिले में सर्वाधिक मात्रा में तालाबों से सिंचाई की जाती है?

मध्य प्रदेश का एकमात्र जिला बालाघाट जहां पर सर्वाधिक मात्रा में खेती के लिए प्रयोग होने वाला पानी तालाबों से जाता है |

↪️ बालाघाट जिले के अंतर्गत कौन सा राष्ट्रीय उद्यान है?

बालाघाट जिले के अंतर्गत प्रसिद्ध कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान आता है जिसे कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के नाम से भी जाना जाता है इसका सर्वाधिक विस्तार बालाघाट जिले में है | यह राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश का पहला राष्ट्रीय उद्यान है |

↪️ जंगल बुक के लेखक कौन है?

Jungle Book के लेखक रुडयार्ड किपलिंग हैं जिन्होंने अपनी पुस्तक की सभी रचनाएं को इसी नेशनल पार्क से प्रेरित होकर लिखा है |

↪️ बालाघाट जिले के अंतर्गत तहसीलों की संख्या कितनी है?

बालाघाट जिले में कुल 12 तहसीलें हैं |

↪️ बालाघाट जिले में कितने विधानसभा क्षेत्र आते हैं?

बालाघाट जिले में कुल मिलाकर 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं |

↪️ मध्य प्रदेश की पहली नहर किस जिले से निकाली गई थी?

मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले से सन 1923 के समय मध्य प्रदेश की पहली नहर निकाली गई थी जो वैनगंगा नदी से जुड़ी हुई है |

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