Chhindwara GK History छिंदवाड़ा जीके हिस्ट्री पर्यटन

छिंदवाड़ा जिले के प्रमुख पर्यटक स्थल –

नमस्कार दोस्तों !

आज एक बार फिर मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत आने वाले सभी धार्मिक स्थल और पर्यटक स्थल के बारे में विस्तार से चर्चा की जाएगी | आज मैं आपको यहां पर प्रमुख रूप से छिंदवाड़ा जिले के बारे में चर्चा करने वाला हूं जोकि जबलपुर संभाग के अंतर्गत आता है | छिंदवाड़ा जिला एक ऐसा जिला है जहां पर काफी मात्रा में जनजातियों का निवास स्थल भी है | छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत यहां पर मैं आज आपको सभी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय उद्यान के बारे में चर्चा करेंगे | यहां पर आप वह प्रमुख रूप से छिंदवाड़ा जिले की समस्त जानकारी को आपके सामने उजागर किया जाएगा | छिंदवाड़ा जिला के अंतर्गत कुछ मात्रा में खनिज उत्पादन भी पाए जाते हैं जिनके बारे में विस्तार से चर्चा की जाएगी |

बांधमाचागोरा बांध
किलादेवगढ़ किला
जलाशयतामिया जलाशय
राष्ट्रीय उद्यानपेंच नेशनल पार्क
अभ्यारणमोगली अभ्यारण
महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल और घाटीपातालकोट
जनजातियों के गांव की संख्या23 गांव
सिद्धेश्वर हनुमान जी101  फीट ऊंची प्रतिमा
जाम सावली हनुमान मंदिर100 साल से अधिक के पुराने साक्ष्य प्राप्त
जलप्रपातलीलाही जलप्रपात, कुकडी जलप्रपात
मेलागोटमार मेला, मेघनाथ का मेला
क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा जिलाछिंदवाड़ा जिला
पुराना नामनीलकंठ नगर
गुफाएंनगवाड़ी की गुफाएं
संग्रहालयमध्य प्रदेश का जनजाति संग्रहालय छिंदवाड़ा, बादल माई आदिवासी संग्रहालय
सर्वाधिक उत्पादनतांबा
सर्वाधिक जनजातिकोरकू
कारखानाहिंदुस्तान लीवर लिमिटेड कारखाना

छिंदवाड़ा जिले के कुछ प्रमुख पर्यटक स्थल और उनका महत्व –

🌗 तामिया पर्यटक स्थल-

दोस्तों यह खजाना से भरा हुआ पर्यटक स्थल है जहां पर आपको प्रमुख रूप से झील और विश्राम गृह देखने को मिलेगा | यहां पर स्थित विश्रामगृह को “तामिया विश्रम ग्रह ” के नाम से जाना जाता है| यहां पर आपको मनमोहक सुंदर वन देखने को मिलता है साथ ही पहाड़ी की चोटी पर आपको एक विश्रामगृह देखने को मिलता है और उसी चोटी पर हरियाली मौजूद है | यह दुनिया का एक ऐसा कोना है जहां पर आपको शांति और सुंदरता देखने को मिलती है|

☛ तामिया जलाशय –

तामिया पर्यटक स्थल की पास में ही एक जलाशय स्थित है जिसे तामिया जलाशय के नाम से जाना जाता है | यह जलाशय लगभग एक तालाब के समान है अर्थात ऊंची पहाड़ी पर झील के रूप में काफी बड़ा जल संग्रह देखने को मिलता है | यहां पर स्थित जल एकदम स्वच्छ और सुंदर जल है जिसका उपयोग आप पीने के लिए अथवा नहाने के लिए भी कर सकते हैं | इस जलाशय के माध्यम से इस पर्यटक स्थल की सुंदरता और अधिक बढ़ जाती है | लोग यहां पर घूमने के लिए आते हैं तो इस जलाशय को देखने जरूर आते हैं |

🌗 पेंच नेशनल पार्क –

छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत आने वाला यह एक ऐसा पर्यटक स्थल है जिसके अंतर्गत कई प्रकार के जीव- जंतु पाए जाते हैं जिनको देखने के लिए भारी मात्रा में भीड़ होती है | पेंच नेशनल पार्क यहां पर बहने वाली पेंच नदी के नाम पर चर्चित और मशहूर है | यह नेशनल पार्क सतपुड़ा पर्वत के अंतर्गत आता है जो सतपुड़ा की निचले हिस्से में मौजूद है | इस राष्ट्रीय उद्यान का विस्तार मध्यप्रदेश के लिए कर महाराष्ट्र तक फैला हुआ है मध्यप्रदेश में यह छिंदवाड़ा और सिवनी जिले के अंतर्गत आता है और एक का कुछ भाग महाराष्ट्र की सीमाओं को छूता है |

इस राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आपको मोर, हिरण, चीता ,भालू, सांभर ,हाथी ,जंगली भैंसा, खरगोश, लोमड़ी आदि सभी जानवर प्रमुख रूप से देखने को मिलते हैं |

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🌗 मोगली अभ्यारण-

मोगली अभ्यारण का लगभग 300 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल आता है यह अभ्यारण पेंच राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत ही आता है | यह वही राष्ट्रीय उद्यान है जहां से मोगली की कहानी शुरू होती है | मोगली से संबंधित लिखी गई पुस्तक इसी अभ्यारण से और उत्प्रेरित की गई है |

🌗 पातालकोट छिंदवाड़ा

यह पर्यटक स्थल छिंदवाड़ा जिले के लगभग 78 किलोमीटर की दूरी पर एक शर्त है यह एक पहाड़ी और घाटी वाला क्षेत्र है परंतु यहां पर प्राकृतिक सुंदरता प्रमुख रूप से देखी जा सकती है | यहां पर बहुत ही सुंदर घाटी देखने को मिलती है इसे घोड़े की नाल की तरह देखा जा सकता है | यहां पर आपको एक छोटी सी नदी देखने को मिलेगी जिसे दूधी नदी के नाम से जाना जाता है इस नदी का पानी वर्ष भर चलता रहता है | दोस्तों आपको जानकार हैरानी होगी कि पातालकोट बहुत ही पुराना और दुर्गम रास्ते वाला पर्यटक स्थल है जहां पर लोग बहुत ही कम जाते थे | वर्तमान समय में पातालकोट घूमने के लिए उत्तम रास्ते का निर्माण किया गया है जिसके माध्यम से हजारों लोग बरसात हो अथवा ठंड का मौसम हो यहां पर घूमने के लिए आते रहते हैं |

वर्तमान समय में यहां पर टूरिज्म की काफी व्यवस्था नहीं है इसीलिए सरकार ने ईकोटूरिज्म बनाने की घोषणा की है यहां पर जल्द ही ईकोटूरिज्म निर्मित किया जाएगा | पातालकोट में प्राचीन समय में जनजातियों का निवास हुआ करता था हालांकि आज भी पातालकोट के कई हिस्सों में आपको जनजातियां देखने को मिलती हैं | पातालकोट एक ऐसा पर्यटक स्थल है जहां पर आपको लाखों साल पुरानी चट्टानें देखने को मिलती हैं |

पातालकोट छिंदवाड़ा

🌗 हनुमान मंदिर-

छिंदवाड़ा जिले का यह एक धार्मिक मंदिर है यहां पर आपको भगवान श्री हनुमान जी की बहुत ही सुंदर प्रतिमा देखने को मिलती है | भगवान श्री हनुमान जी की यह मूर्ति 101 फीट ऊंची प्रतिमा है संकट मोचन हनुमान जी की यह मूर्ति छिंदवाड़ा जिले के सिमरिया गांव के अंतर्गत आती है | संकट मोचन श्री हनुमान जी के दर्शन करने के लिए यहां पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग आते हैं | जिस तरीके से मारुति नंदन श्री हनुमान जी को संकट मोचन कहा जाता है ठीक उसी प्रकार से अपने भक्तों की प्रत्येक समस्या को हर लेते हैं | हनुमान जयंती के समय यहां पर भगवान श्री हनुमान जी की जयंती को बड़े ही धूमधाम तरीके से मनाया जाता है और भव्य रैली का आयोजन किया जाता है जिसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं | भगवान श्री हनुमान जी के धार्मिक स्थल को सिद्धेश्वर हनुमान जी के नाम से भी जाना जाता है |

सिद्धेश्वर हनुमान जी का यह धार्मिक स्थल लगभग 5 एकड़ से भी अधिक क्षेत्रफल पर फैला हुआ है| यह धार्मिक स्थल महाराष्ट्र के बिल्कुल नजदीक होने के कारण महाराष्ट्र के लोग भी यहां पर दर्शन करने के लिए आते हैं | भगवान श्री हनुमान जी की मूर्ति को यहां पर कुछ इस तरीके से स्थापित किया गया है जैसे वे अपने भक्तों को आशीर्वाद दे रहे हैं |

🌗 कपूरदा माता मंदिर-

छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत आने वाला है एक धार्मिक मंदिर है जहां पर माता के भक्तों की भीड़ लगातार बनी रहती है क्योंकि यहां पर माता के आशीर्वाद मात्र से लोगों की बड़ी बड़ी समस्याएं ठीक हो जाती हैं | कपूरदा छिंदवाड़ा जिले का एक छोटा सा गांव है जहां यह मंदिर स्थित है यह गांव चौरई के अंतर्गत आता है |

यह धार्मिक मंदिर षष्ठी माता के लिए प्रसिद्ध है आसपास के निवासी लोगों की यहां पर आस्था जुड़ी हुई है | यहां की स्थानीय लोगों के द्वारा बताया जाता है कि शादी के कई साल तक जिन लोगों को संतान की प्राप्ति नहीं होती है यहां पर आने के बाद और माता के आशीर्वाद मात्र से उनको संतान की प्राप्ति हो जाती है | नवरात्रि के समय में माता की पूजा करने के लिए यहां पर हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ती है | पूरे 9 दिनों तक यहां पर एक भी दिन ऐसा नहीं होता है जिसमें माता के दरवाजे बंद रहते हो क्योंकि हजारों की संख्या में लोग यहां पर माता के दर्शन करने के लिए आते हैं जिस कारण से दरवाजे बंद नहीं हो पाते |

यहां पर काफी मैदान और माता के मंदिर के अलावा यहां पर अन्य मंदिर भी देखने को मिलते हैं | यहां पर आने के बाद मन को एक अलग ही शांति मिलती है | माता के दर्शन करने के लिए लोग महाराष्ट्र से भी अधिक मात्रा में आते हैं क्योंकि महाराष्ट्र भी बिल्कुल नजदीक पड़ता है |

🌗 जाम सावली हनुमान मंदिर–

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले का यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जो बहुत प्रसिद्ध और चर्चित मंदिर है | छिंदवाड़ा रोड पर यह मंदिर स्थित है जो लगभग नागपुर से 70किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है | भगवान श्री हनुमान जी से लोगों की आस्था और विश्वास जुड़ा हुआ है | भगवान श्री हनुमान जी यहां पर आप को खराद अवस्था में देखने को मिलते हैं इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण किसने किया अभी तक कोई ज्ञात नहीं है |

स्थानीय निवासी के लोगों के द्वारा बताया जाता है कि यहां पर भगवान श्री हनुमान जी प्रकट हुए थे और इसके कुछ साक्ष्य भी देखने को मिलते हैं | यहां के स्थानीय निवासी लोगों के द्वारा कहा जाता है कि धार्मिक पुराणों के अनुसार भगवान श्री हनुमान जी प्राचीन काल में जब लक्ष्मण को मूर्छित अवस्था से ठीक करने के लिए बूटी लेने आए थे तब भगवान श्री हनुमान जी ने जाम सावली में पीपल के नीचे विश्राम किया था | भगवान श्री हनुमान जी के बारे में यहां पर कई कथा सुनने को मिलती हैं और लगभग 100 साल पुराने ऐसे साक्ष्य भी देखने को मिलते हैं कि वास्तव में यहां पर भगवान श्री हनुमान जी प्रकट हुए हैं | भगवान श्री हनुमान जी के दरबार में सच्चे मन से प्रार्थना करने वाले व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है |

🌗 अनहोनी –

दोस्तों यहां पर ऐसी मान्यता है कि त्वचा से संबंधित कोई भी लोग यहां पर बड़ी आसानी के साथ ठीक हो जाता है | छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत एक छोटा सा गांव आता है जैसे पिपरिया कहा जाता है उसी गांव से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर यह दुर्गम पहाड़ी वाला क्षेत्र है | यहां पर प्रमुख रूप से आपको झरना देखने को मिलते हैं और यहां पर बहने वाले पानी की ऐसी मान्यता है कि इसमें नहाने के बाद त्वचा संबंधी बड़े-बड़े रोग ठीक हो जाते हैं |

🌗 हिंगलाज माता का मंदिर Chhindwara

छिंदवाड़ा जिले का यही एक प्रमुख धार्मिक मंदिर है जहां पर लोगों की आस्था और विश्वास जुड़ा हुआ है | हिंगलाज माता का यह मंदिर एक ऐतिहासिक मंदिर है जो काफी पुराना मंदिर है | भारत में केवल दो ही हिंगलाज माता के मंदिर हैं जिसमें एक मंदिर पाकिस्तान की सीमा के पास बना हुआ है और दूसरा मंदिर मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत आता है | छिंदवाड़ा जिले में यह मंदिर जिले से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है मंदिर तक जाने का रास्ता एकदम सरल और सुगम है | हिंगलाज माता के मंदिर में सबसे ज्यादा मात्रा में लोग मंगलवार और शनिवार को आते हैं इसके अलावा भी यहां पर आप किसी भी दिन आ सकते हैं | नवरात्रि के समय में यहां पर आपको हजारों की संख्या में भीड़ देखने को मिलती है ऐसा लगता है जैसे कि यहां पर नवरात्रि के समय एक भव्य मेला लगा हुआ है |

हिंगलाज माता का मंदिर Chhindwara

🌗 लीलाही जलप्रपात-

छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत आने वाला यह जलप्रपात बहुत ही सुंदर और मन को आनंदित कर देने वाला जलप्रपात है | यहां पर जाने के बाद आपके मन को एक अलग ही शांति का अनुभव होता है प्रकृति की एक अनोखी छटा देखने को मिलती है | यह जलप्रपात काफी बड़ा तो नहीं है परंतु यहां पर जाने के बाद आपको वहां पर ठहरने का मन करेगा क्योंकि वहां पर वास्तव में बहुत ही सुंदर लगता है | यह जलप्रपात घने जंगलों के बीच स्थित है रास्ता काफी दुर्गम होने के कारण यहां पर बहुत कम लोग ही जा पाते हैं परंतु वर्तमान समय में सुंदर रास्ते का निर्माण किया जा रहा है | दोस्तों कहा जाता है कि रास्ता चाहे जितना भी कठिन हो जो लोग कठिन रास्ते का चुनाव करते हैं उनको बेहतरीन मंजिल प्राप्त होती है | इस जलप्रपात का दृश्य देखने का एक अलग ही आनंद है | जलप्रपात के पास में आपको सुंदर पशु पक्षी देखने को मिलते हैं उनकी चहचहाती आवाज हमारे मन को आनंदित कर देती है |

🌗 देवगढ़ किला-

छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत आने वाले यही एक प्राचीन काल में निर्मित किया गया किला है जिसका अस्तित्व नाम मात्र के लिए रह गया है क्योंकि यह किला काफी पुराना हो गया है और इसकी देखरेख ना होने के कारण मिटता जा रहा है |

छिंदवाड़ा जिले से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर यह किला स्थित है जिसे देवगढ़ किले के रूप में जाना जाता है | यह किला एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है जो पूरी तरीके से वन से ढका हुआ है | यहां तक जाने का रास्ता एकदम दुर्गम है परंतु पर्यटक स्थल होने के कारण यहां पर जाने के लिए एक सुंदर रास्ते का निर्माण किया जा रहा है |

प्राचीन काल में यहां पर गोंड़ शासकों ने शासन किया है वर्तमान समय में यहां पर आपको केवल अवशेष देखने को मिलते हैं | मोटरसाइकिल के माध्यम से इस प्राकृतिक स्थल तक पहुंचा जा सकता है परंतु फोर व्हीलर नहीं जा सकती |

यहां पर आपको एक मोर्टिटंका के नाम से प्राचीन काल का जलाशय देखने को मिलता है जिसमें आज भी पानी को प्रमुख रूप से देखा जा सकता है | प्राचीन काल में इस जलाशय का पानी इतना साफ हुआ करता था कि आभूषण को भी यदि इस जलाशय में फेंक दिया जाता है स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है |

🌗 कुकडी जलप्रपात Chindwara

सतपुड़ा पर्वत की पहाड़ियों में बसा हुआ यह एक छोटा सा जलप्रपात है जो कि बरसात के समय में सर्वाधिक मात्रा में देखा जा सकता है | वैसे तो इस जलप्रपात का पानी वर्ष भर बना रहता है परंतु ज्यादा गर्मी के समय इस जलप्रपात का पानी पूरी तरीके से कम हो जाता है | बरसात के समय में एक जलप्रपात का पानी भारी मात्रा में बढ़ जाता है और इसका विस्तार भी हो जाता है | इस जलप्रपात को देखने का सुंदर नजारा बरसात के समय का ही होता है क्योंकि बरसात के समय में चारों तरफ हरा-भरा देखने को मिलता है |

कुकडी जलप्रपात Chindwara

दुर्गम पहाड़ियों में बना हुआ या जलप्रपात काफी सुंदर और आकर्षक जलप्रपात है पत्थरों से टकराता हुआ पानी काफी ऊंचाई से नीचे की तरफ गिरता है | जलप्रपात के नीचे एक छोटा सा कुंडा बना हुआ है जहां पर आप स्नान कर सकते हैं परंतु कई जलप्रपात ऐसे होते हैं जहां पर अंदर जाने के लिए सख्त मना होता है | जंगलों में बने हुए ऐसा सुंदर जलप्रपात आपको कहीं -कहीं ही देखने को मिलेगा |

🌗 गोटमार मेला-

छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत आने वाले इस मेले को पांढुरना के गोटमार मेले के नाम से भी जाना जाता है | छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत आने वाला यह मेला पांढुरना तहसील के निकट लगता है | इस मेले का आयोजन छिंदवाड़ा जिले में बहने वाली एक छोटी सी नदी जाम नदी के तट पर किया जाता है जहां पर हजारों की संख्या में लोग मेले का हिस्सा होते हैं |

गोटमार मेले में प्रमुख रूप से एक प्राचीन परंपरा का आयोजन किया जाता है जिसमें नदी के बीचो-बीच एक पेड़ पर नदी के दोनों तरफ के गांव कि लोग अपना अपना झंडा फहराने की कोशिश करते हैं | गोटमार मेले में प्रमुख रूप से नदी के विपरीत वाले गांव के लोग इस परंपरा में एक दूसरे के ऊपर पथराव बाजी करते हैं जिस गांव के लोग उस पेड़ पर अपना झंडा फहराने में सफल हो जाते हैं उनको विजय घोषित किया जाता है | पथराव बाजी के दौरान कई लोग इसमें घायल हो जाते हैं परंतु यह बहुत ही प्राचीन परंपरा है इसमें थोड़ी बहुत सावधानी भी ध्यान में रखी जाती है लेकिन फिर भी हजारों लोग घायल हो जाते हैं |

🌗 मेघनाथ का मेला-

छिंदवाड़ा जिले का एक प्रमुख मेला है जिसमें हजारों की मात्रा में लोग इस मेले का हिस्सा होते हैं | आसपास के सभी निवासियों के द्वारा यहां पर कई प्रकार के भव्य आयोजन किए जाते हैं जिसमें नाच गाना और कई ऐसे कार्यक्रम होते हैं जिसमें लोगों को मनोरंजित किया जाता है |

इस मेले का आयोजन नदी के किनारे किया जाता है क्योंकि नदी के किनारे पानी की पूर्ण व्यवस्था होती है और काफी मैदान होता है | नदी के किनारे पर ही कई धार्मिक मंदिर स्थित है जहां पर लोग दर्शन करने के लिए आते हैं और साथ ही मेले का आनंद उठाते हैं | छोटे-छोटे बच्चों के लिए यहां पर कई प्रकार के खिलौने और झूले मौजूद होते हैं जो उनके मनोरंजन के लिए उपयुक्त साधन हैं |

🌗 कल्याण देवी मंदिर-

छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत आने वाला माता शक्ति का ही दूसरा रूप इस मंदिर में देखने को मिलता है जिसे कल्याण देवी के नाम से जाना जाता है | जिस मंदिर में कल्याण देवी को स्थापित किया गया है उस मंदिर को कल्याण देवी मंदिर के नाम से ही जाना जाता है | यहां पर आपको भारी मात्रा में प्रतिदिन भीड़ देखने को मिलती है क्योंकि लोग माता के दर्शन करने के लिए प्रतिदिन आते हैं | चैत्र मास की नवरात्रि के समय यहां पर आपको बहुत कम भीड़ देखने को मिलती है | नवरात्रि के समय यहां पर माता के दर्शन करने के लिए आते हैं | हजारों की संख्या में लोग 9 दिन का ही यहां पर डेरा डालकर माता की सेवा करते हैं | कई श्रद्धालु भक्त यहां पर माता के दरबार में बड़े-बड़े घंटा चढ़ाते हैं तो कई लोग त्रिशूल चढ़ाते हैं |

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Chhindwara GK History Related FAQ’s

↪️ क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा जिला कौन है?

क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा जिला छिंदवाड़ा जिला है|

↪️ छिंदवाड़ा जिले का पुराना नाम क्या है?

छिंदवाड़ा जिले का पुराना नाम नीलकंठनगर है प्राचीन काल में नीलकंठ नगर राष्ट्रकूट वंश की राजधानी हुआ करती थी |

↪️ नगवाड़ी की गुफाएं कहां पर स्थित है?

नगवाड़ी की गुफाएं मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में स्थित है यह गुफाएं इतनी विशाल है कि इसमें एक बार में 1000 आदमी आ सकते हैं |

↪️ सिकना नदी किस जिले की है ?

सिकना नदी मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत आने वाली एक छोटी सी नदी है इस नदी के तट पर मध्य प्रदेश का एकमात्र ब्राह्मण शैली में बना हुआ विष्णु मंदिर यहां का प्रमुख मंदिर है |

↪️ मध्यप्रदेश में भारिया जनजाति कहां पर निवास करती है?

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत आने वाला पातालकोट भारिया जनजाति का निवास स्थल है | पातालकोट एकमात्र ऐसा स्थल है कि यहां पर सूर्य का प्रकाश भी ठीक से नहीं पहुंच पाता |

↪️ हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड कारखाना कहां पर है?

मध्य प्रदेश का प्रसिद्ध हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड कारखाना छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत आता है |

↪️ छिंदवाड़ा जिले का नाम छिंदवाड़ा क्यों पड़ा?

छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत ताड़ के सर्वाधिक वृक्ष पाए जाते हैं जिनको छिंद भी कहा जाता है इसी कारण से इस जिले का नाम छिंदवाड़ा पड़ गया |

↪️ मध्यप्रदेश में सर्वाधिक कोरकु जनजाति किस जिले में निवास करती है?

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत सबसे ज्यादा कोरकु जनजाति निवास करती है |

↪️ बादल माई आदिवासी संग्रहालय किस जिले में स्थित है?

बादल माई आदिवासी संग्रहालय मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में स्थित है |

↪️ भारत का पहला मसाला पार्क किस राज्य में है?

भारत का पहला मसाला पार्क छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत बनाया जा रहा है |

↪️ मध्यप्रदेश में सर्वाधिक मात्रा में तांबा किस जिले से निकलता है?

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से सर्वाधिक मात्रा में तांबा निकाला जाता है |

↪️ मध्य प्रदेश के किस जिले में जनजाति संग्रहालय स्थित है?

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में जनजातीय संग्रहालय स्थित है जहां पर जनजातियों की समस्त जानकारी आपको एक ही स्थान पर देखने को मिल जाती है |

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