✭ मुरैना जिला
मुरैना जिला मध्य प्रदेश का सबसे उत्तरी जिला है इसे बागियों का गढ़ के नाम से जाना जाता है। क्योंकि यहां पर प्राचीन समय से ही डाकुओं का निवास रहा है। यहां पर बीहड़ अधिक होने के कारण डाकू ठहर जाते थे। और यहीं से लूटपाट करते थे।
✭ आज हम आपको चंबल संभाग के अंतर्गत आने वाले मुरैना जिले के सभी पर्यटक स्थलों के बारे में बताने वाले हैं। आप इन्हें एक बार अवश्य देखें। अगर आपको पोस्ट अच्छी लगे तो कमेंट बॉक्स में हमें कमेंट करके जरूर बताएं।
✭ दोस्तों आज मैं आपको मध्य प्रदेश के मुरैना शहर के बारे में जानकारी दूंगा। एवं मुरैना शहर में पाए जाने वाले प्रसिद्ध एवं प्राचीन किलो एवं मंदिरों के बारे में बताऊंगाl मध्यप्रदेश के मुरैना शहर में प्रमुख नदियां चंबल आसार डोंगरी एवं शंख नदी प्रमुख हैं। ✭ शंख नदी एक ऐसी नदी है जहां पर डाकुओं एवं चोरों के इलाके भी बने हुए थे। वहां पर डाकुओं का अड्डा हुआ करता था। यह नदी बहुत ही प्राचीन समय से चली आ रही है। मुरैना शहर में और भी दर्शनीय एवं प्रमुख स्थानों की विवेचना नीचे निम्न प्रकार की गई हैl
मुरैना जिला | |
संभाग | चंबल |
अलग होकर जिला बना | भिंड से |
नदी के किनारे बसा शहर | चंबल |
अभ्यारण्य | चंबल घड़ियाल अभ्यारण्य |
मंदिर | शनिधाम मंदिर, बटेश्वर मंदिर |
सर्वाधिक उत्पादन | सरसों |
भाषा | बृजभाषा |
लिंगानुपात | सबसे कम |
कत्था उद्योग, सरसो प्लांट | |
नदी | चंबल |
मेला | नागाजी का मेला |
किला | सरसेनी किला, सबलगढ़ का किला |
मप्र का सबसे | उत्तरी जिला |
पहला सीमेंट कारखाना | बानमौर |
गुफाएं | पहाड़गड़ की गुफाएं |
Table of Contents
1) चंबल राष्ट्रीय अभ्यारण 👀
मध्यप्रदेश के मुरैना शहर में हम आपको बता दें कि मगरमच्छ एवं कछुआ और कई प्रकार के वन्य जीव पाए जाते हैं। जिसमें से प्रमुख हैं। बाघ घड़ियाल एवं कछुआ की प्रजातियां जो कि बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। चंबल नदी में मछलियों की कई प्रजातियां होने के अलावा वहां पर डॉल्फिन कछुआ मगरमच्छ आदि प्रजातियां पाई जाती है। यहां पर लाल रंग की कछुआ भी देखने को मिलते हैं। राष्ट्रीय अभ्यारण का क्षेत्र 5400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां पर सभी प्रकार के वन्य प्राणी पाए जाते हैं। एवं चंबल नदी के निकटतम होने के कारण इस अभ्यारण का और भी महत्वपूर्ण और सुंदरता से भरा दृश्य दिखाई पड़ता है l
2) पहाड़गढ़ की गुफाएं 👀
यह गुफाएं मुरैना से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पहाड़गढ़ की गुफाओं में लगभग 86 गुफाएं बनी हुई है। यह गुफाएं एक पहाड़ी पर बनी हुई है। इन गुफाओं का निर्माण 1669 ईस्वी में डीपी राकेश द्वारा करवाया गया था। जोकि कॉलेज के प्रोफेसर रहे और हम आपको बता दें कि इन गुफाओं में सभ्यता काल से लोगो एवं औरतें का निवास स्थान रहा है l
3) करह धाम 👀
मुरैना से 15 किलोमीटर दूर करह धाम स्थित है। इसे सिद्ध तपस्याओं की तपोभूमि माना जाता है। करह को धाम बनाने मैं पाटिया के बाबा राम रतन दास की महत्वपूर्ण भूमिका रही है l यहां पर इनका मंदिर एवं मूर्ति विराजमान है l
4) शनिचर मंदिर 👀
यह मुरैना में स्थित है। इस मंदिर में शनिदेव की प्रतिमा बनाई गई है। प्राचीन समय से यह मंदिर बनाया गया है। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण आकाश से गिरने वाली उल्का पिंड से शनि देव की प्रतिमा का निर्माण हुआ था। और इस मंदिर का निर्माण करने के बाद इसका नाम शनिचर मंदिर पढ़ा और शनिचर अमावस्या को मेले का आयोजन भी किया जाता है l
5) कुंतलपुर गांव 👀
इसे कुंडलपुर नाम से जाना जाता है। कुंतलपुर मैं एक माता के मंदिर का निर्माण किया गया है। और यही पर चांद आकार का एक तालाब भी बनाया गया है। जो कि यहां का स्थान शांत और सुंदर नजर आता हैl
6) बटेस्वर मंदिर 👀
इस मंदिर का निर्माण मुरैना शहर से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर चंबल के बीहड़ों में स्थित है। यह पुरातात्विक मंदिर का निर्माण किया गया है। यहां पर लगभग 200 मंदिरों का निर्माण किया गया है। इस मंदिरों का निर्माण गुर्जर और प्रतिहार वंश द्वारा लगभग आठवीं और दसवीं शताब्दी में इन मंदिरों का निर्माण करवाया गया था l
7) मितावली 👀
इस मंदिर का निर्माण भी मुरैना शहर से लगभग 33 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 100 मीटर ऊंची पहाड़ी पर बनाया गया है। इस मंदिर का आकार गोलाकार है। इस मंदिर के अंदर 60 कमरों का निर्माण करवाया गया है। जिसमें प्रत्येक कमरे में शिवलिंग की स्थापना की गई है। और हम आपको बता दें कि इस मंदिर का निर्माण नौवीं शताब्दी में प्रतिहार वंश द्वारा करवाया गया था l
8) सबलगढ़ का किला 👀
यह किला मुरैना शहर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह किला नगर में बना हुआ है। देश के लिए इसका निर्माण 1887 में किया गया था। जो कि प्रतिहार वंश द्वारा किया गया था l
9) सरसैनी किला 👀
यह मुरैना शहर के दक्षिण में 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसका निर्माण चंबल नदी के किनारे किया गया है। यह लगभग 1000 फीट की ऊंचाई पर बनाया गया था l
10) सिहोनिया 👀
यह मुरैना शहर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह माना जाता है कि सिहोनिया कुशवाहा की राजधानी रही है। और यहां पर कुशवाहा बंधुओं का राज रहा है। इसका निर्माण 11वीं शताब्दी में किया गया था। जोकि कछुआ नाम के राजा द्वारा एक शिव मंदिर का निर्माण करवाया गया था lइस मंदिर का निर्माण खजुराहो मंदिरों के सम्मान किया गया है। यहां पर जैन धर्म से संबंधित अनुयायी भी आते जाते रहते हैं l
आवागमन 👀
मुरैना बहुत छोटा सा शहर है। यहां पर बहुत कम ही लोग घूमने के लिए जाते हैं। अगर आप यहां जाना चाहते हैं। तो आपको यहां पर बस सुविधा या फिर अपने निजी वाहन से जाया जा सकता है।इसके अलावा यहां पर ट्रेन की भी पर्याप्त सुविधा उपलब्ध है। यहां पर आप घूमने के लिए जा सकते हैं।
महत्पूर्ण तथ्य
⬤सुब्बा राव का संबंध मध्य प्रदेश के मुरैना जिले से है।
⬤ मुरैना जिले को बागियों का गढ़ कहा जाता है।
⬤ मध्य प्रदेश का सबसे उत्तरी जिला मुरैना ही है।
⬤ मुरैना जिले की सीमा अन्य दो राज्यों से लगती है।
⬤ मुरैना जिले में मुख्य रूप से ब्रजभाषा का प्रयोग किया जाता है।
⬤मुरैना जिले का चंबल वाणी प्रमुख समाचार पत्र है।
⬤ पान सिंह तोमर मुरैना जिले से ही संबंधित है इनका जन्म मुरैना में ही हुआ था।
⬤ नागा जी का मेला पोरसा गांव मुरैना में लगाया जाता है यह पूरे 1 महीने तक चलता है।
⬤ Nh3 मध्य प्रदेश की मुरैना जिले से होकर गुजरता है।
⬤ मध्य प्रदेश का सबसे न्यूनतम लिंगानुपात वाला जिला मुरैना है।
⬤ मध्य प्रदेश का पहला सीमेंट प्लांट बानमौर मुरैना में ही लगाया गया था।
⬤ कथा उद्योग बानमौर मुरैना में स्थापित है।
⬤ कैलारस शुगर मिल मुरैना जिले में स्थापित है।
⬤ जिप्सम हरसोठ का उत्पादन मुरैना जिले में होता है।
⬤ चंबल घड़ियाल मुरैना जिले के अंतर्गत आती है।